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गाँधी फेलोशिप के लिए 31 मार्च तक आवेदन

The Academics News नेशनल. 
वर्तमान समय में गांधी फेलोशिप युवा छात्रों के बीच चर्चा में है. यह दो वर्ष का फेलोशिप कार्यक्रम है, जिसकी परिकल्पना युवा, गतिशील व्यक्तियों के लिए जमीनी स्तर पर कौशल विकास को बढ़ाने में योगदान देने के अवसर पैदा करने के लिए की गई है. आपको बता दें कि ग्रेजुएट छात्रों के लिए यह पीरामल फाउंडेशन की ओर से गांधी फेलोशिप की घोषणा की गई है.
ग्रामीण इलाकों में देखा जाएं तो बहुत से ऐसे छात्र होते हैं जो ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई छोड़कर किसी छोटे-मोटे काम से पैसा कमाने में लग जाते हैं. ग्रेजुएशन के बाद आगे की पढ़ाई के लिए छात्रों को आर्थिक सहायता की जरूरत पड़ती है. ऐसे में गांधी फेलोशिप (Gandhi Fellowship ) प्रोग्राम बेहद मददगार साबित होने वाला है. इस फेलोशिप प्रोग्राम के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अभी से शुरू हो चुकी है, जिसकी आखिरी तिथि 31 मार्च तक होगी. आइए समझते हैं पूरा कार्यक्रम.

स्नातक पास हैं तो मिलेगा मौका

गांधी फेलोशिप कार्यक्रम देख रहे अर्पित पाल ने बताया फेलो की आयु 21-30 वर्ष होनी चाहिए, उनके पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए. इसके अलावा वे भारत के नागरिक होने चाहिए. फील्डवर्क के लिए राज्य की आधिकारिक भाषा में दक्षता अनिवार्य होगी. चयनित युवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलता है. शिक्षा, स्वास्थ और विकास से जुड़ी मुद्दों पर काम करना होता है. दो वर्ष के इस ट्रेनिंग के बाद पास आउट युवाओ को नीति आयोग, जीविका सहित कई क्षेत्रों में कार्य करने के अवसर मिलते हैं. गांधी फ़ेलोशिप, एक शैक्षिक नेतृत्व कार्यक्रम है. यह कार्यक्रम पीरामल स्कूल ऑफ़ लीडरशिप और कैवल्य एजुकेशन फ़ाउंडेशन द्वारा चलाया जाता है. इस कार्यक्रम के ज़रिए युवा नेताओं को वंचित समुदायों को प्रभावित करने का मौका मिलता है. 

गांधी फ़ेलोशिप के बारे में ज़्यादा जानकारीः 

  • यह एक दो साल का आवासीय कार्यक्रम है. 
  • इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए, उम्मीदवार की उम्र 26 साल से कम होनी चाहिए. 
  • ग्रेजुएशन में कम से कम 50% अंक होने चाहिए. 
  • चयनित फ़ेलो को हर महीने एक मामूली वज़ीफ़ा दिया जाता है. 
  • फ़ेलो को देश के अलग-अलग हिस्सों में गांधीवादी संगठनों का दौरा करना होता है. 
  • फ़ेलो को इन संगठनों से जुड़े अभिलेखीय सामग्री की पहचान और खरीदारी करनी होती है. 
  • फ़ेलो को लिखित रिपोर्ट, दृश्य-श्रव्य सामग्री, और दूसरे माध्यमों से अपने अनुभवों का दस्तावेज़ीकरण करना होता है. 
  • फ़ेलो को एक ज़िले के खास ब्लॉक की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है. 
  • फ़ेलो को सरकारी अधिकारियों, हितधारकों, और समुदाय के लोगों के साथ मिलकर काम करना होता है. 
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