एनएसएस ने मनाया युवा दिवस
The Academics News, हमीरपुर.
आज दिनांक 12 जनवरी 2025 को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर ब्रह्मानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय राठ, हमीरपुर उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों एवं स्वयंसेविकाओ द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया । जिस संगोष्ठी का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) सुरेंद्र सिंह जी द्वारा स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं साथ ही महाविद्यालय के संस्थापक स्वामी ब्रह्मानंद जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य जी ने स्वयंसेवकों एवं स्वयंसेविकाओ को उद्बोधन मे बताया कि स्वामी विवेकानंद जी के जीवन दर्शन से हम युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए जिससे कि हम स्वयं के व्यक्तित्व का विकास कर सकें एवं साथ ही साथ राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें उन्होंने बताया कि हम सभी को मिलकर समाज के प्रति जागरूकता अभियान चलाकर कुरीतियों को दूर कर के जागरूक करना होगा की समाज में एक दूसरे के प्रति अच्छा व्यवहार तथा नैतिक जिम्मेदारियां का निर्वाहन करते रहे। वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. एन.के. सिंह ने बताया कि उन्तालीस वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानन्द जो काम कर गये वे आने वाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो, अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था-"यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द को पढ़िये। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।" डॉ राम शुभम जी ने बताया कि स्वामी जी के उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असंभव है वह जहां भी गए सर्वप्रथम ही रहे हर कोई उनमें अपने नेता का दिग्दर्शन करता था वह ईश्वर के प्रतिनिधि थे । डॉ. एस.जी. राजपूत जी ने बताया कि उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष में धर्म एवं दर्शन की पुण्य भूमि है यही बड़े-बड़े महात्माओं का जन्म हुआ है, यही सन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यही केवल यही आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है इसी क्रम में डॉक्टर ज्योतिर्मय साहू जी ने बताया कि उन्होंने कहा था मुझे बहुत से युवा संन्यासी चाहिए जो भारत के गावों में फैल कर देशवासियों की सेवा में लग जाए। इसी क्रम में डॉ.अमित विसेन जी ने बताया कि उन्होंने हर आत्मा ईश्वर से जुड़ी है करना यह है कि हम इसकी दिव्यता को पहचानें अपने आप को अंदर या बाहर से सुधार कर कर्म पूजा अंतर मन या जीवन दर्शन इनमें से किसी एक या सबसे ऐसा किया जा सकता है और फिर से अपने आप को खोल दें यही सभी धर्म का सारांश है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. दुर्गेश कुमार जी ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था चिंतन करो चिंता नहीं नए विचारों को जन्म दो हम जो बोलते हैं वही काटते हैं हम सब अपने भाग्य के निर्माता है । उन्होंने बताया की एक समय में एक काम करो ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी डॉ. जितेंद्र सिंह जी ने बताया कि वह केवल संत ही नहीं एक महान देशभक्त वक्ता, विचारक, लेखक और मानव प्रेमी भी थे। अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आवाह्न करते हुए कहा था नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भडभुजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से, निकल पड़े झाड़ियां, जंगलों और पहाड़ों और पर्वतों से और जनता ने स्वामी की पुकार का उत्तर दिया वह गर्व के साथ निकल पड़ी। महात्मा गांधी जी को आजादी की लड़ाई में जो जन समर्थन मिला वह विवेकानंद जी के आवाह्न का ही फल था इस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी एक प्रमुख प्रेरणा के स्रोत बने।
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