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शिक्षकों की सेवा शर्तों को लेकर भी यूजीसी ने जारी किया मसौदा

The Academics News, दिल्ली. 

अर्न लीव में से एक तिहाई छुट्टियों को क्रेडिट कराने की दी सुविधा
विश्वविद्यालयों सहित देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती के लिए नए नियमों का मसौदा जारी करने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उनके पढ़ाने के घंटों में भी बढ़ोतरी कर दी है। शिक्षकों को अब प्रत्येक सेमेस्टर में कम से कम 15 हफ्ते पढ़ाना अनिवार्य होगा। अभी प्रत्येक सेमेस्टर में उन्हें अधिकतम 13 हफ्ते ही पढ़ाना होता है। यूजीसी ने शिक्षकों को पढ़ाई के इन बढ़ाए गए दिनों में खुद को शोध और इनोवेशन जैसे गतिविधियों से जोड़ने की सलाह दी है। जिसका फायदा छात्रों को भी मिलेगा जो नए माहौल में अपने सपनों को उड़ान दे सकेंगे।
शिक्षकों के काम-काज से जुड़े नए नियमों के मसौदे में यूजीसी ने जो व्यवस्थाएं की हैं, उनमें पढ़ाई के बड़े घंटों से शिक्षकों की छुट्टी के दिनों में होने वाले दो हफ्ते के नुकसान की भरपाई की गई है। शिक्षकों को एक साल में मिलने वाले अर्जित अवकाश (अर्न लीव) में से एक तिहाई अवकाश को क्रेडिट कराने की सुविधा दी गई है। कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को एक और विकल्प दिया गया है इसके तहत वे एक शैक्षणिक सत्र में कुल 10 हफ्ते तक की छुट्टी पर रह सकते हैं। हालांकि इसके अलावा उन्हें और कोई छुट्टी नहीं मिलेगी।
हालांकि वह विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की तरह अपने अर्जित अवकाश में से एक तिहाई अवकाश को क्रेडिट करा सकते है। मौजूदा समय में एक सेमेस्टर छह महीने का होता है। एक महीने में चार हफ्ते होते है। ऐसे में एक सेमेस्टर में कुल 24 हफ्ते होते है। इनमें से शिक्षकों को कम से कम 15 हफ्ते अनिवार्य रूप से पढ़ाने के लिए कहा गया है।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का छात्रों के पढ़ाने के साथ ही एक बड़ा समय शोध, प्रशिक्षण, सेमिनार आदि गतिविधियों में जाता है। इसके साथ ही संस्थान उन्हें खुद पढ़ने के लिए भी पर्याप्त समय मुहैया कराता है।
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